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Foreign Minister S Jaishankar का पाकिस्तान दौरा, क्या एससीओ बैठक के दौरान दुश्मन देश पाकिस्तान से बातचीत होगी? जानिए सबकुछ

Foreign Minister S Jaishankar  आज पाकिस्तान के इस्लामाबाद के लिए रवाना होंगे, जहां वे शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की एक बैठक में हिस्सा लेंगे। इस बैठक के लिए उनका यह दौरा विशेष महत्व रखता है क्योंकि भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण संबंधों के बावजूद, जयशंकर का यह दौरा कई सालों बाद भारत के किसी उच्च स्तरीय अधिकारी का पाकिस्तान दौरा होगा। यह बैठक दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण हालात में हो रही है, खासकर कश्मीर मुद्दे और सीमा पार आतंकवाद के चलते।

9 साल बाद भारतीय विदेश मंत्री का पाकिस्तान दौरा

यह दौरा इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत के किसी विदेश मंत्री का यह 9 सालों में पहला दौरा होगा। आखिरी बार भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने 2015 में पाकिस्तान का दौरा किया था, जब वे एक अफगानिस्तान सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए इस्लामाबाद गई थीं। इसके बाद से दोनों देशों के संबंधों में कश्मीर मुद्दे और सीमा पार से आने वाले आतंकवाद को लेकर तीव्र तनाव देखा गया है। जयशंकर के इस दौरे को भारत सरकार के एक महत्वपूर्ण निर्णय के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि यह SCO जैसे बड़े मंच पर हो रहा है।

Foreign Minister S Jaishankar का पाकिस्तान दौरा, क्या एससीओ बैठक के दौरान दुश्मन देश पाकिस्तान से बातचीत होगी? जानिए सबकुछ

एससीओ बैठक और द्विपक्षीय बातचीत का सवाल

एस जयशंकर पाकिस्तान में 15-16 अक्टूबर को आयोजित होने वाली एससीओ (SCO) के शासनाध्यक्षों की बैठक में हिस्सा लेने के लिए जा रहे हैं। एससीओ, एक बहुपक्षीय संगठन है जिसमें भारत, चीन, रूस, पाकिस्तान समेत कई अन्य मध्य एशियाई देश सदस्य हैं। हालांकि, इस दौरे के दौरान जयशंकर और उनके पाकिस्तानी समकक्ष इशाक डार के बीच किसी भी द्विपक्षीय बातचीत की संभावना नहीं है। दोनों ही देशों ने स्पष्ट कर दिया है कि इस दौरे के दौरान दोनों के बीच कोई औपचारिक वार्ता नहीं होगी। इसके बावजूद, जयशंकर का पाकिस्तान में होना दोनों देशों के बीच उच्च-स्तरीय कूटनीतिक प्रयास के संकेत के रूप में देखा जा सकता है।

कश्मीर मुद्दा और सीमा पार आतंकवाद का साया

भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों का सबसे बड़ा मुद्दा कश्मीर और सीमा पार आतंकवाद है। भारत का मानना है कि पाकिस्तान से समर्थन प्राप्त आतंकवादी संगठनों के कारण कश्मीर में आतंकवाद और हिंसा को बढ़ावा मिल रहा है। इस मुद्दे पर भारत ने अपने रुख को साफ किया है कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद का समर्थन बंद नहीं करता, तब तक दोनों देशों के बीच अच्छे संबंध नहीं हो सकते। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी हाल ही में अपने एक संबोधन में कहा था कि भारत पाकिस्तान के साथ अच्छे संबंध रखना चाहता है, लेकिन यह तभी संभव है जब पाकिस्तान आतंकवाद का समर्थन बंद करे।

पुलवामा हमले के बाद तनाव में आई दरार

फरवरी 2019 में पुलवामा में हुए आतंकी हमले और इसके जवाब में भारतीय वायुसेना द्वारा बालाकोट में आतंकवादी शिविरों पर की गई कार्रवाई के बाद, दोनों देशों के संबंध और भी तनावपूर्ण हो गए। पुलवामा हमले में भारतीय सुरक्षा बलों के 40 जवान शहीद हो गए थे, जिसका आरोप पाकिस्तान समर्थित जैश-ए-मोहम्मद संगठन पर लगाया गया था। इस हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया और सीमापार आतंकवाद के खिलाफ सख्त कार्रवाई की। इसके बाद से दोनों देशों के बीच तनाव कम होने का कोई संकेत नहीं मिला।

अनुच्छेद 370 के हटाए जाने के बाद संबंधों में और खटास

अगस्त 2019 में भारत सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद पाकिस्तान ने भारत के साथ अपने कूटनीतिक संबंधों को सीमित कर दिया। इस कदम के बाद पाकिस्तान ने भारत के साथ व्यापारिक और राजनीतिक संबंधों को काफी हद तक कम कर दिया। भारत का यह कदम पाकिस्तान को बर्दाश्त नहीं हुआ, क्योंकि वह हमेशा से कश्मीर को विवादित क्षेत्र मानता रहा है। हालांकि, भारत ने हमेशा यह कहा है कि कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है और पाकिस्तान को आतंकवाद का समर्थन बंद करके अच्छे संबंधों की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए।

एससीओ बैठक: क्या कोई नया कदम उठाया जाएगा?

एससीओ एक ऐसा मंच है जहां सदस्य देशों के बीच सुरक्षा, आर्थिक और राजनीतिक मुद्दों पर बातचीत होती है। पाकिस्तान द्वारा इस बार एससीओ बैठक की मेज़बानी करना और भारत के विदेश मंत्री का वहां जाना, दोनों देशों के बीच एक नया कूटनीतिक अवसर प्रदान करता है। हालांकि, दोनों देशों ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि जयशंकर और पाकिस्तान के विदेश मंत्री के बीच कोई द्विपक्षीय बातचीत नहीं होगी।

भारत इस मंच का उपयोग पाकिस्तान को सीमा पार आतंकवाद के मुद्दे पर घेरने के लिए कर सकता है, जबकि पाकिस्तान कश्मीर मुद्दे पर अपने विचार प्रस्तुत कर सकता है। SCO के मंच पर, भारत और पाकिस्तान के अलावा, चीन और रूस जैसे बड़े देशों का भी प्रभाव होता है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या इस मंच के जरिए दोनों देश किसी निष्कर्ष पर पहुंचते हैं या नहीं।

भविष्य की दिशा

जयशंकर का पाकिस्तान दौरा एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक घटना है, लेकिन यह कहना मुश्किल है कि इससे भारत-पाकिस्तान संबंधों में कोई बड़ा बदलाव आएगा या नहीं। हालांकि, यह दौरा यह जरूर दर्शाता है कि दोनों देश बहुपक्षीय मंचों पर सहयोग करने के लिए तैयार हैं, भले ही द्विपक्षीय स्तर पर उनके बीच संवाद की संभावनाएं सीमित हों।

भारत ने हमेशा यह कहा है कि पाकिस्तान के साथ अच्छे संबंध तभी संभव हैं जब वह आतंकवाद का समर्थन बंद करे और एक सौहार्दपूर्ण वातावरण बनाए। दूसरी ओर, पाकिस्तान का जोर कश्मीर मुद्दे पर है और वह इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाने की कोशिश करता रहा है।

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